राजधानी रांची के कई क्षेत्र सूरज के अस्त होने के साथ ही अंधेरे में डूब जाते हैं। अंधेरा ऐसा कि शाम के बाद घर से निकलने में भी भय लगता है। हालांकि, नगर निगम हमेशा डंके की चोट पर कहता है कि पिछले पांच साल में 50 हजार से अधिक स्ट्रीट लाइट लगाई गईं। लेकिन, हल्की बारिश होती नहीं है कि स्ट्रीट लाइट को ठंड लग जाती है। पांच साल पहले लगाई गई ये लाइटें अब पूरी तरह से खराब हो चुकी हैं और राजधानी रांची की गलियां फिर से अंधेरे में है।
राजधानी के इन क्षेत्रों में न सिर्फ लाइट की समस्या है, बल्कि नाली और कचरा प्रबंधन भी एक बड़ी समस्या है। पहले क्षेत्र के लोग अपनी छोटी-बड़ी हर समस्याओं को लेकर वार्ड पार्षद के पास पहुंचते थे। लेकिन, अब हरेक समस्या को आवेदन के साथ लेकर नगर निगम का चक्कर काटते फिरते हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाता है।
वार्ड पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हुए सालों बीत चुके हैं, झारखंड हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कई बार यह कह चुका है कि समय पर चुनाव नहीं कराना और चुनाव को रोक कर रखना यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। यह संवैधानिक प्रविधानों के विपरीत है। लम्बे समय तक प्रशासक के माध्यम से नगरीय व्यवस्था को चलाना, यह लोकतंत्र के खिलाफ उचित नहीं है। हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया था कि राज्य सरकार जल्द से जल्द निकाय चुनाव कराए। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी राज्य सरकार अपने चुनावी रणभूमि में इतने व्यस्त हैं कि उन तक लोगों की समस्याएं नहीं पहुंच पाती हैं।
डांगरा टोली के रहने वाले सौरभ कुमार बताते हैं कि शाम होते ही पूरे डांगरा टोली के क्षेत्र में अंधेरा छा जाता है। ये पूरा एरिया गर्ल्स पीजी के लिए जाना जाता है, फिर भी इन क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट को लेकर समुचित व्यवस्था नहीं है। बिजली रहती है, लेकिन स्ट्रीट लाइट जलती नहीं है। किसी का बल्ब खराब है तो किसी का स्वीच।
डांगराटोली से कांटाटोली चौक के बीच आधा दर्जन से अधिक लाइटें खराब हो चुकी हैं। वहीं, काटाटोली से लोवाडीह की ओर जाने वाली सड़कों पर दो-तीन सौ मीटर की दूरी पर स्ट्रीट लाइट लगी हुई है।
जबकि शहरीय क्षेत्रों में 25-50 मीटर की दूरी पर लाइट पोल होना चाहिए। कांटाटोली के गुलिस्तान आलम बताते हैं कि आवेदन देकर क्षेत्र के लोग थक चुके हैं। कोई सुनवाई नहीं होती है। यहां-वहां छोटी-छोटी गुमटियों पर असामाजिक तत्वों का जमघट लगा रहता है। इससे शाम के बाद महिलाएं आने-जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। यह समस्या न सिर्फ डांगरा टोली की है बल्कि लालपुर, कांटाटोली, कुम्हारटोली, सिरमटोली, लोवाडीह की भी है। इस एरिया में अंधेरा होने के बाद राहगीरों को अकेले आने-जाने में एक भय लगा रहता है, कहीं कुछ अप्रिय घटना न हो जाए।
यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, शहर के जिन वार्डों में भी स्ट्रीट लाइट की समस्या है, उसे जल्द से जल्द ठीक किया जाएगा। - सूरज प्रकाश सिंह , सहायक प्रशासक, नगर निगम रांची
Write a comment ...