झारखंड के सबसे हाट सीटों में एक खिजरी विधानसभा सीट में इस बार भी लड़ाई काफी रोमांचक होने वाली है। दोनों ही मुख्य पार्टियों ने अपने पुराने ही चेहरे पर दांव खेला है। दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर 1995 के बाद कोई भी प्रत्याशी एक बार से अधिक चुनाव नहीं जीत सका है। कांग्रेस की तरफ से राम कुमार पाहन और बीजेपी की तरफ से राजेश कच्छप चुनावी रण में हैं।
चुनावी लहर को जानने के लिए हमने इलेक्शन बाइक शुरू किया है। इलेक्शन बाइक की शुरुआत खिजरी विधानसभा में दोपहर 1:10 बजे स्वर्णरेखा पब्लिक हाई स्कूल, टाटीसिलवे से हुई। बाइक स्टार्ट हुई और हम निकल पड़े खिजरी विधानसभा के चुनावी माहौल को समझने। रास्ते में राहगीर आ-जा रहे थे, लेकिन चुनावी रंग में रंगे लोग नहीं दिख रहे थे। बाइक अपनी रफ्तार से चलती रही और हम 1:50 बजे पहुंच गए टाटीसिलवे चौक। चौक पर सभी अपने-अपने काम में लगे हुए थे तो हम भी चौक से निकल पड़ें बाईं ओर और पहुंच गए एक संकरी गली में। गली में प्रवेश करते ही कुछ लोग एक वृक्ष के नीचे छांव में बैठकर गपशप कर रहे थे।
तभी वहां पहुंच गए, उमेश बड़ाईक और वे गिरिजन राय से कहते हैं- क्या चाचा, इस बार किसको वोट देना है? तभी चाचा बोल पड़े… क्या ही वोट देना है बेटा। वोट देकर क्या ही हासिल होता है, गांव के लोगों को एक अदद रोजगार और नौकरी के लिए यहां-वहां भटकना पड़ता है। पढ़-लिखकर भी गांव के बाबू सबके रोजगार के लिए दूसरे शहर में जाना पड़ता है। सभी बगल में बैठे अन्य बुजुर्ग हां में हां मिला रहे थे और सभी बोलते हैं ठीक ही बोल रहे हैं आप गिरिजन बाबू। नेता सब चुनाव में वोट मांगने आते हैं और फिर पांच साल तक ई गली का पता ही भूल जाते हैं। तभी उमेश बोल पड़ते हैं क्या हुआ चाचा, कुछ हमें भी बताइए। और गिरिजन चाचा दाईं ओर हाथ दिखाते हुए बोलते हैं ई सामने जो फैक्ट्री है कौनो आम फैक्ट्री नहीं है। यहां कभी ट्रांसफर, मोटर और जेनरेटर का निमार्ण होता था। इस फैक्ट्री में 550 से अधिक लोग काम करते थे। 1993 में ये फैक्ट्री बंद हो गया, सरकार ने इस ओर फिर ध्यान नहीं दिया और आज ये फैक्ट्री एक जंगल में तब्दील हो गया है।
चाचा की बात सुन उमेश बोलते हैं बात तो सही है आपकी। लेकिन आप कहना क्या चाहते हैं ये तो बोलिए। गिरिजन चाचा कहते हैं, कहना क्या है, चुनाव के समय सारे नेता आते हैं वोट मांगने बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन आज तक कुछ नहीं किया किसी ने। ये फैक्ट्री फिर से चालू करवाने का वायदा करके गया था निर्वतमान विधायक राजेश कच्छप ने। लेकिन चुनाव जीतने के बाद फिर इधर देखने तक नहीं आया। गिरिजन चाचा और उमेश के बीच बातचीत धीरे-धीरे समाप्त हो गई और बाइक निकल पड़ी एनएच-33 हाइवे रिंग रोड की ओर। 3 बजे एक चाय की टपरी पर पहुंच गया।
ई विधायक एगो रोड तक नहीं बनाया :
चाय की टपरी पर बैठे कुछ लोग बातचीत कर रहे थे कि रवि नाम का एक व्यक्ति कहते हैं यहां 20-25किमी पर टोल टैक्स देना पड़ता है। देखते हैं टाटीसिलवे से इधर आए चाय पीने के लिए की कहते हैं टोल टैक्स दो। तभी दैनिक जागरण उन लोगों से मुखातिब हुए और चुनाव में किसका पलड़ा भारी है ? तभी बड़गांव के एक व्यक्ति बोल पड़ते हैं और कहते हैं कि ई विधायक राजेश कच्छप गांव तक जाने के लिए एगो रोड तक नहीं बनवाया। इलाज के लिए राजधानी की ओर भागना पड़ता है। ई बार तो गांव वाला ऐसन नेता के वोट ही नहीं देगा जो विकास के लिए काम ही नहीं करता है। इतना कहते ही वे आगे बढ़े और हमारी बाइक मुड़कर गेतलसूद की ओर निकल पड़ी।
न पक्की सड़क, न बिजली और न पानी :
बाइक अपनी रफ्तार से चलती रही और अनगड़ा होते हुए 4 बजे गेतलसूद पहुंच गई। मेन रोड के अंदर जाते ही गांव के कुछ लोग बिजली और ट्रांसफार्मर पर चर्चा कर रहे थे। तभी हम लोगों से मुखातिब हुए, और लोगों से चुनावी माहौल के बारे पूछा। तभी गांव के शुकरा लोहरा और बालेश्वर महतो बोल पड़े। और नर्म लहजे में कहा क्या चुनावी माहौल रहेगा विस्थापित परिवारों के लिए।
इस बार माहौल गरमाया हुआ है। विस्थापित परिवारों का मुख्य मुद्दा बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां पानी, बिजली, सड़क और चिकित्सा जैसी आवश्यक सेवाएं अभी भी ठीक से उपलब्ध नहीं हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि पिछले चुनावों में किए गए वादे पूरे नहीं हुए। यहां की जनता आज भी विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है, जिनमें सबसे प्रमुख बुनियादी सुविधाओं की कमी और विस्थापित परिवारों का संकट है। ई बार चुनाव में कौनो नेता पर भरोसा ना करेंगे और जो ई क्षेत्र के समस्या का हल निकालेंगे, उसी को वोट देंगे। यह कहते हुए शुकरा लोहरा अपने घर की तरफ चाय पीने निकल पड़ते हैं और धीरे-धीरे सभी लोग अपने घर तरफ जाने लगते हैं।
हमने इलेक्शन बाइक के माध्यम से राजधानी रांची से 30 किमी दूर सुदूर क्षेत्रों में जाकर गांव-पंचायत, चाय की टपरी पर पहुंचकर उनकी समस्याएं, चुनावी मुद्दे को समझने की प्रयास की। मतदाता अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं बोल रहा है कि चुनाव किसके पक्ष में करना है। लेकिन बातचीत से स्पष्ट होता है कि असली मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में है और मतदाता विकास को पैमाना बनाकर ही मतदान करने वाली है।
Write a comment ...