समेकित बाल विकास सेवा योजना के अंतर्गत 1975 में देशभर में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई थी। जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना था। यह योजना समाज के उन वर्गों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, जो हाशिए पर जी रहे थे। जो जीने के लिए कुपोषण, शिक्षा की कमी और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में संघर्ष कर रहे थे। लेकिन, राजधानी में अब भी आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति इस तरह से होना सरकार की योजनाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। हम बात कर रहे हैं, कोकर वार्ड नंबर दस के श्रीराम नगर आंगनबाड़ी केंद्र की। 10×12 का यह आंगनबाड़ी केंद्र, पिछले 15 साल से एक ही कमरे में चल रही हैं, जहां न तो पर्याप्त जगह है और न ही बुनियादी सुविधाएं।
एक कमरे में बच्चों की पढ़ाई से लेकर इलाज तक : इस छोटे से कमरे में तीन से 6 साल तक के 20 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं। वहीं, गर्भवती महिलाओं का चेकअप भी होता है। टीके भी वहीं पर लगाए जाते हैं। इसी जगह पर एएनएम (सहायक नर्स) बैठती हैं और दवाइयां भी रखनी होती हैं। बच्चों की कक्षाएं, स्वास्थ्य जांच, दवाइयों को रखना और अन्य सभी गतिविधियां इसी एक छोटे से कमरे में होती हैं। नतीजा, न तो बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से हो पाती है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावी ढंग से दी जा रही हैं।
पांच महीने से दवाइयों का अभाव : एएनएम चंचला कुमारी ने बताया कि पिछले चार-पांच महीने से यहां पर आयरन, कैल्शियम, उल्टी रोकने की दवाइयां और महिलाओं के लिए जरूरी अन्य दवाइयों की आपूर्ति नहीं हुई है। गर्भवती महिलाएं जब आयरन और कैल्शियम आदि की दवाइयां मांगती हैं, तो उन्हें खाली हाथ लौटाना पड़ता है। यहां पर अभी चार-पांच ही जरूरी दवाइयां हैं, जिसमें बुखार, बच्चों के लिए पोषण का एक सीरप, ओआरएस पाउडर व कुछ अन्य दवाइयां हैं।
हो सकता है गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर असर : एक गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन और कैल्शियम की गोलियां अनिवार्य हैं, ताकि वे और उनके होने वाले बच्चे स्वस्थ रहें। दवाइयों की अनुपलब्धता से महिलाओं में खून की कमी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। वहीं, बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी पोषण और अन्य दवाइयों की भी कमी है। आंगनबाड़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा जैसे रूई, पट्टी, प्लास्टर, एंटीसेप्टिक क्रीम, डिजर्मिंग टैबलेट, विटामिन टैबलेट आदि हैं ही नहीं।
क्या होने चाहिए : एक आंगनबाड़ी केंद्र पर न्यूनतम दो कमरा होना चाहिए। जिसमें बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की देखभाल के लिए बुनियादी दवाइयां जैसे- विटामिन की गोलियां, आयरन और कैल्शियम की गोलियां, एंटीसेप्टिक लिक्विड, विटामिन की गोलियां, रुई, पट्टी, ओआरएस और सप्प्लीमेंटरी न्यूट्रिशन आदि।
कागजों में सजी योजनाएं, हकीकत में बदहाली : बच्चों और माताओं की स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाएं बनाईं। लेकिन जमीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन सवालों के घेरे में है। दवाइयों और सुविधाओं के अभाव में न तो गर्भवती महिलाओं को जरूरी पोषण मिल पा रहा है और न ही बच्चों का स्वास्थ्य सुधर सकता है। सेविका सरिता कुजूर और नर्स चंचला कुमारी का कहना है दवाइयों के लिए कई बार शिकायत कीं। लेकिन अधिकारी कहते हैं कि दवाइयां अभी नहीं आ रही हैं।
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