फाइलों में समाए 69.3 लाख रुपए; 20 महीने बाद भी टैगोर हिल जर्जर

रांची के मोरहाबादी स्थित टैगोर हिल की जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार ने मार्च 2023 में 69.3 लाख रुपए की मंजूरी दी थी। लेकिन, इस ऐतिहासिक धरोहर के रख-रखाव के लिए पर्यटन विभाग की ओर से कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। आश्चर्य की बात यह है कि मार्च 2023 में टैगोर हिल के संरक्षण के लिए 69 लाख 30 हजार रुपये आवंटित भी कर दिए गए। लेकिन, 20 माह बाद भी टैगोर हिल अपनी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में ही पड़ा हुआ है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि दिसंबर 2023 में टैगोर हिल के संरक्षण के लिए केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने टैगोर हिल स्थित ब्रह्मा स्थल का जीर्णोद्धार भी किया। दो सप्ताह तक काम भी चला जिसमें ब्रह्मा स्थल या हिल सुंदरीकरण का काम और उसके चारों ओर रैलिंग की व्यवस्था की गई। इससे ब्रह्म स्थल को नई जिंदगी तो मिली। लेकिन, टैगोर हिल की बाकी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति में कोई भी बदलाव नहीं आया।

टैगोर हिल की सीढ़ियां जर्जर, न शौचालय और न पानी:

हिल तक जाने वाली जर्जर सीढ़ियां

इस हिल पर बड़ी तादाद में पर्यटक घूमने और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने आते हैं। लेकिन, पर्यटन विभाग का इस ओर जरा भी ध्यान नहीं है। यहां पर न तो शौचालय की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की। मुख्य भवन के सभी दरवाजे और खिड़कियां गायब हैं। चारों और शराब की बोतलें और डिस्पोजल कप बिखरे हुए हैं। शिखर तक जाने के लिए जो सीढ़ियां बनी हुई हैं, सीढियों के टाइल्स पूरी तरह से टूट चुके हैं। चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

न सीसीटीवी कैमरा और न सुरक्षा गार्ड, बिना टिकट वसूला जा रहा पार्किंग:

टैगोर हिल घूमने आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए न तो कोई केयर टेकर है और न ही सुरक्षा गार्ड। कहीं पर भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। पर्यटकों की सुरक्षा भगवान भरोसे होती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि हिल के पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने पर आज भी पार्किंग शुल्क लिया जाता है। पार्किंग शुल्क वही वसूलते हैं, जो सुबह-शाम टैगोर हिल का दरवाजा खोलते हैं।

क्या कहते हैं पर्यटक:

रांची के इस पर्यटक स्थल का नाम बहुत सुना था कि घूमने के उद्देश्य से अच्छी जगह है। लेकिन, यहां पर कोई भी बुनियादी सुविधा मौजूद नहीं है। - आशीष कुमार, सिवान

यहां पर न पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय की। राज्य सरकार को टैगोर हिल के रख-रखाव के लिए ध्यान देना चाहिए। - हेमंत कुमार, गोड्डा

सुरक्षा गार्ड और रख-रखाव के अभाव में यह पवित्र स्थल लावारिश स्थल बन गया है। सीढ़ियां जर्जर हो गई है, यहां पर असामाजिक तत्वों का जमघट लगा रहता है। -मो. मोफिल खान, कांटाटोली

“इस संबंध में पर्यटन निदेशक प्रमुख अंजलि यादव से कई बार बात करने की कोशिश की गई। लेकिन, उन्होंने बात नहीं किया। इससे पर्यटन विभाग पर सवाल उठना लाजिमी है।”

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Ajay Sah

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Ajay Sah

गांव-गांव और शहर-दर-शहर की गलियों में भटकता, जज़्बातों की कहानियाँ बुनता हूँ। हर मोड़ पर नया अनुभव, दिल के कोने में छुपी भावनाओं को जीता हूँ।