मंगलवार 5 नवंबर से महापर्व छठ की शुरुआत हो जाएगा। शहर के फिरायलाल चौक स्थित अपर बाजार में प्रवेश करते ही शारदा सिन्हा की छठी गीत ‘पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार’ की लाइनें कानों में गूंजती हैं। बाजार में अंदर प्रवेश करते ही यूं मानो ऐसा लगता है जैसे खरीदारी करने के लिए आए हुए व्रती के साथ-साथ दुकानदार भी मन ही मन शारदा सिन्हा की गीतों को गुनगुना रहे हों। पर्व में इस्तेमाल होने वाले सामानों से बाजार पूरी तरह से सज चुका है। दीपावली के अगले दिन से ही व्रत करने वाले व्रतियों ने जरूरी सामानों की खरीदारी शुरू कर दी है।
चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व छठ की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ छठ का अनुष्ठान प्रारंभ हो जाएगा। 6 को खरना और 7 को संध्या अर्घ्य है। 8 नवंबर को सुबह की अर्घ्य के साथ इस महापर्व की समाप्ति होगी। शहर में छठ पूजा को लेकर कांसा और पीतल के सूप, डाला, दउरा, बीना, मिट्टी के चूल्हे आदि ने बाजार की रौनक में चार चांद लगाया। वहीं, शहर के जिला स्कूल, अपर बाजार, हरमू बाजार और चुटिया में पूजन सामग्री और फल बाजार में भी चहलकदमी देखी गई।
इन राज्यों से हुई फलों की आपूर्ति: महापर्व छठ में फलों की बहुत ज्यादा मांग रहती है। विशेषकर सेब, केला, नारियल, नाशपती, संतरा और गन्ना की। राजधानी में इन फलों को पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, केरल और तमिलनाडु से मंगाकर फलों की आपूर्ति की गई हैं। वहीं, बात करें अगर सेब की तो यह हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से, केला आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल से, महाराष्ट्र से संतरा, केरल, तमिलनाडु और आंध्रा से नारियल, छत्तीसगढ़ से अमरूद और बिहार से गन्ना आदि की आपूर्ति की गई है।
बाजार में इस कीमत पर मिल रहे हैं फल :
कद्दू 30-60 रूपये
सेब 100-120
अमरूद 60-80
शरीफा 70-80
पानी फल/सिंघाड़ा 50-60
अनन्नास 180-200 जोड़ा
नींबू 50-65
आंवला 50-60
नारियल 40-50 प्रति पीस
गन्ना 30-50 प्रति पीस
अदरक 50-60 मुट्ठा
हल्दी 60-80 मुट्ठा
मूली 25-30
ये हैं पूजा में लगने वाले बर्तनों की कीमत: आमतौर पर पूजा में पीतल या कांसा के बर्तनों का ही ज्यादातर प्रयोग किया जाता है। जिसमें पीतल और कांसा के कठौती की कीमत 850-880 रूपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है। वहीं सूप 850 रूपये प्रति किलो, हंडी 880 रूपये किलो, झंझरा 300-500 रूपये प्रति पीस, करछूल 300-550 रूपये प्रति पीस, कड़ाही 850 रूपये किलो, लोहे का चूल्हा 600- 650 रूपये, बाल्टी 500- 850रूपये , थाली 800-850 रूपये किलो, लोटा 800-900 रूपये किलो, गिलास 700-900 रूपये किलो, दीया 70-250 रूपये पीस के हिसाब से मिल रहा है।
ये हैं पूजा में लगने वाली मिट्टी से बनी सामग्री की कीमत:
हाथी कोसी 200-350 रूपये
दीया ढक्कन 60-90
सरपोश 10-35
कोसी 10-30
कलश 40-200
चूल्हा 100-150
दीया 10-12 ( दर्जन)
पूजा की सामग्री:
सिंदूर 10 रूपये (पैकेट)
मखाना 900-1500₹(किलो)
माला 20 रुपये (दर्जन)
लौंग 1 रुपए (पीस)
सोपाड़ी 1 रुपया (पीस)
इलायची 1 रूपये (पीस)
अखरोट 3-5 रुपये (पीस)
अलतापत्ता 5 रूपये(बंडल)
छुहारा 200-300 किलो
सेंधा नमक 50 रुपये(किलो)
बादाम 250-300 किलो
मधु 500 रुपये किलो
मौली धागा 10 रुपये
अरबा धागा 10 रुपये
धूप 10 रूपये (पैकेट)
गंगा जल- 20 रूपये डिब्बा
पंचमेवा 10 रुपये
काजू 600 रुपये (किलो)
नारियल 25-30 रुपये पीस
नींबू 50-60 रूपये किलो
बढ़ गई आम की लकड़ी की कीमत: छठ पूजा नजदीक आते ही और बाजार में आम के लकड़ी की कमी के कारण कीमतों में तेजी आ गई है। इस साल, आम के लकड़ी का भाव 200 से 300 रुपये प्रति बोझा तक पहुंच गया है। वहीं अगर प्रति किलो की बात करें तो 25-30 रूपये किलो तक पहुंच गई है। पिछले साल, आम के लकड़ी की कीमत 15-20 रूपये किलो थी। हालांकि, लकड़ियों के दाम बढ़ने से मांग में कमी नहीं आई है।
इस साल सभी फलों की कीमत में 20-25 फीसदी तक इजाफा हुआ है। बाजार में सभी फलों की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में है। हालांकि, महंगाई होने के बावजूद भी मंहगाई पर आस्था भारी पड़ी है, मांग में कमी नहीं आई है।- समसाद परवेज, हरमू फल मंडी
शहर में यहां हैं फलों की मंडी: शहर में छठ पूजा के अवसर पर लोग सीधे फलों की खरीदारी के लिए फिरायालाल जिला स्कूल बाजार, अपर बाजार, डेली मार्केट, हरमू फल मंडी, चुटिया बाजार, कांके फल मंडी और ओरमांझी फल मंडी तक सीधे पहुंच गये हैं, जिसके कारण मंडी में भीड़ बढ़ गई है। आमतौर पर लोग मंडी में केला, सेब, और नारियल खरीदते नजर आए।
नहीं हो सकी हाजीपुर के चीनिया केले की आपूर्ति: हरमू फल मंडी के थोक विक्रेता मो. असलम बताते हैं कि महापर्व छठ में देशभर में मशहूर बिहार के हाजीपुर की चीनिया और अल्पान केले की भरपूर मांग रहती है। लेकिन, इस बार बिहार के हाजीपुर के इलाके में बाढ़, आंधी और बारिश ने चीनिया और अल्पान केले की फसल को बर्बाद कर दिया। जिसके कारण चीनिया केले की आपूर्ति नहीं हो सकी है। हालांकि, ग्राहक इस केले को लेकर मांग कर रहे हैं, लेकिन आपूर्ति नहीं की जा सकी। इसके बदले में, आंधप्रदेश में पैदा होने वाले केले को बाजार में चीनिया केला के नाम से जाना जा रहा है, और इसे ही लोग बिहार का चीनिया केला समझकर खरीद रहे हैं।
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