रिम्स में 5वें दिन भी हड़ताल के कारण ठप रही ओपीडी सेवा, अब प्राइवेट हास्पिटल की ओर रुख कर रहे हैं मरीज

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज व हास्पिटल में प्रशिक्षु डाक्टर के साथ हुई रेप और हत्या के विरोध में 5वें दिन भी रांची के रिम्स हास्पिटल में सीनियर और जूनियर डाक्टर्स हड़ताल पर बैठे रहे। हड़ताल के कारण पूरी ओपीडी सेवा प्रभावित रही। मरीजों को न तो उनके टेस्ट के रिपोर्ट मिल रहे हैं और न ही इलाज। ओपीडी सेवा और तमाम सर्जरी के बंद होने से अब मरीज को उनके परिजन प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर रुख कर रहे हैं।

ट्रामा सेंटर एंड सेंट्रल इमरजेंसी में कतार में लगे मरीज

आपातकालीन सेवा को छोड़कर सभी सेवाएं बंद हैं। धनबाद के रहने वाले विकास कुमार बताते हैं कि मेरी बहन यूरोलाजी कैंसर की मरीज हैं, लेकिन इमरजेंसी में भी उसका इलाज नहीं हो सका, इमरजेंसी में कहा गया कि उसी विभाग में इसका इलाज हो सकेगा।

वहीं कई मरीज जो पिछले कई दिनों से यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि अब ओपीडी व अन्य सेवा बहाल होंगी लेकिन 5वें दिन भी सेवा बहाल नहीं होने के कारण मरीज को उनके परिजन अब रिम्स छोड़कर प्राइवेट हास्पिटल में इलाज कराने के लिए लेकर जा रहे हैं।

मरीजों ने बयां किया दर्द:

मेरे पापा को मुंह का कैंसर है, वे दर्द से बैचेन हैं। सारे टेस्ट और रिपोर्ट मिल चुके हैं, लेकिन डाक्टर के हड़ताल के कारण पापा का इलाज नहीं हो पा रहा है -रतन हेंब्रम, चाईबासा

मेरी भाभी का हाथ टूट गया है जो दर्द से कराह रही है। 8 दिनों तक टेस्ट और रिपोर्ट का चक्कर लगाया। आपरेशन के लिए ड्रेस तक चेंज करवा लिए गए लेकिन हड़ताल के कारण आपरेशन नहीं हो सका। अब प्राइवेट हास्पिटल में इलाज कराने जा रहे हैं -चंद्रेश्वर मिश्रा, धुर्वा

मेरे दामाद का पैर टूट गया है। प्लास्टर बगैरह सबकुछ हो गया लेकिन पैर में दर्द है। दो दिन हो गए लेकिन हड़ताल के कारण इलाज नहीं मिल पा रहा है -अयोध्या पासवान, पलामू

मैं टीबी और अस्थमा का मरीज हूं। सांस लेने में बहुत तकलीफ और सीने में जलन होती है। कुछ भी खाने के बाद उल्टी हो जाती है। 6 दिनों से इलाज के लिए डाक्टर का इंतजार कर रहे हैं -कुल्लू मंडल, गिरीडीह

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Ajay Sah

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पैसे दोगे तो आपके पैसों का इस्तेमाल उन गरीब मजदूर, बेघर और असहाय बच्चों की मदद करने के लिए करूंगा। जो गरीबी की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पाती और भूखे सो जाते हैं, ठंड में सड़कों के किनारे बिना कपड़ों के रात जागकर काट देते हैं। उन गरीब बच्चों के लिए कुछ करना चाहता हूं। करीब जाकर देखो तो उनकी आंखों में हजारों सपने हैं लेकिन… दो अक्षर का ज्ञान उन्हें देना चाहता हूं, उनके लिए कुछ करना चाहता हूं। आभार और धन्यवाद 🌻🌼🌹

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Ajay Sah

गांव-गांव और शहर-दर-शहर की गलियों में भटकता, जज़्बातों की कहानियाँ बुनता हूँ। हर मोड़ पर नया अनुभव, दिल के कोने में छुपी भावनाओं को जीता हूँ।