जैप -1 सौर्य सभागार में भारत से आए 20 माउंटेनियर के सम्मान समारोह का आयोजन आइडिएट इंस्पायर इग्नाइट फाउंडेशन की ओर से किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि जैमलिंग तेनजिंग, मेजर विनित, सिद्धार्थ त्रिपाठी, राजीव गुप्ता, अलोक गुप्ता द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर माउंटेनियर ने अपने अनुभव साझा किया। हर किसी ने कहा कि सेवन समिट एक्सपिडिशन पूरा करना हर पर्ततारोही का सपना होता है। इसके लिए फिटनेंस की काफी अधिक जरूरत पड़ती है। इसके लिए काफी पहले से तैयारियां करनी पड़ती हैं। एक पर्वतारोही को पर्वतारोहण के दौरान क्या-क्या चैलेंज आते हैं, कैसे उन्हें अपनी पीठ पर लादकर 15 किलो का वजन लादकर जाना होता है। उन्हें क्या-क्या लेकर जाना होता है, क्या परेशानियां होती हैं, इन सभी बिंदुओं पर माउंटेनियर ने अपने अनुभव को साझा किया है।
माउंटेनियर ने साझा किया अपना अनुभव:
पहाड़ चढ़ने का सपना तो बचपन से ही था :काम्या कार्तिकेयन
पहाड़ चढ़ने का सपना तो बचपन से ही था। इसके लिए मुझे प्रेरणा मेरे पापा से मिली। पापा नौसेना में अधिकारी हैं। पापा के साथ मैं भी ट्रेनिंग करती थी। सात साल की उम्र में मम्मी-पापा के साथ उत्तराखंड के एक शिखर को और 9 साल की उम्र में लद्दाख की चोटी को फतह की हूं। जिसमें अफ्रीका का किलीमंजारो, यूरोप का एल्ब्रुस, ओसियाना का कास्त्रतेंज, दक्षिणी अमेरिका का एकांकागुआ, उत्तरी अमेरिका का माउंट मैकाले और माउंट एवरेस्ट पहाड़ शामिल है। अभी दूसरे बड़े पहाड़ों पर चढ़ने का सिलसिला जारी है। 20 मई 2024 को मैं और पापा दोनों ही एवरेस्ट फतह कर चुके है। और इस तरह से यह उपलब्धि देश की दूसरी बाप-बेटी की जोड़ी बन गई। इससे पहले मैं सात महाद्वीपों में से छह सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई कर दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बन गई हूं।
अब अंटार्कटिका का विंटसन मैसिफ की चढ़ाई करना ही एक मात्र लक्ष्य है। सेवन समिट एक्सपिडिशन पूरा करना हर पर्वतारोही का सपना होता है। ताकि दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने की चुनौती पूरी करने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन सकूं।
अगर जीवन में कुछ हासिल करनी है तो उम्र मायने नहीं रखती :डा. उषा हेगडे
अगर जीवन में कुछ हासिल करनी है तो उम्र मायने नहीं रखती है। मेरे दो पुत्र हैं जो मेडिकल के छात्र हैं, पति डाक्टर हैं। एक संपन्न और सुखी परिवार है, लेकिन पहाड़ों से ये प्रेम मुझे खींच लाया है। एवरेस्ट फतह करने में तमाम चुनौतियां आती हैं, लेकिन करने वाले कर जाते हैं। मैं खुद भी 3 साल तक खूब प्रैक्टिस की, जिसमें जमशेदपुर टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) में तकनीकी प्रशिक्षण लिया। जिससे हिमालय में ग्लेशियरों, दरारों और चट्टानी सतहों को पार करने जैसी चुनौतियों से सामना करने के लिए आत्मविश्वास मिली। अपनी शारीरिक फिटनेस के लिए योग, प्राणायाम, जिम जाती रही। पहाड़ चढ़ने के दौरान 15 किलो का बैग लेकर चढ़ना होता है। साथ में डाउनशूट 3-4 किलो का, शूज 2.5 किलो का, आक्सीजन सिलेंडर, खाने-पीने की सामग्री आदि होती है। अपनी पीठ पर ये बोझा लेकर खूब प्रैक्टिस कर अपनी सहनशक्ति का स्तर भी बढ़ाती थी।
कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून हो तो हर कठिन काम हो जाता है : मीनू कालीरमन
कहते हैं कुछ करने के लिए एक जुनून होना चाहिए। मुझे पहाड़ बहुत सुंदर लगते थे और उसी ने मुझे पर्वतारोही बना दिया। मैं स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से थी तो सफर में चुनौतियां थोड़ी कम आई। लेकिन जब आपके अंदर कुछ करने का जज्बा और जुनून हो, तो वो काम अंततः पूर्ण हो ही जाता है। मैंने 2023 में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और दुनिया की चौथी ऊंची चोटी माउंट लहोत्से को सबसे कम समय में दोनों पर्वतों पर एक साथ तिरंगा फहराकर कीर्तिमान स्थापित किया है। कम समय में ये उपलब्धि प्राप्त करने वाली मैं देश की पहली बेटी बन चुकी हूं। इससे पहले अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमजारो, नेपाल की माउंट मेरा पीक, हिमाचल की माउंट फ्रेंडशिप पीक, लद्दाख की माउंट युनाम पीक पर भी तिरंगा झंडा लहरा चुकी हूं।
30 की उम्र के बाद भी महिलाएं पर्वतारोहण कर सकती हैं : रमा ठाकुर
मैं पहाडी राज्य मनाली, हिमाचल से हूं। पहाड़ी राज्य की बेटियों के हौसले भी पहाड़ जैसे ही मजबूत होते हैं। मेरी उम्र 37 वर्ष हो चुकी है। 23 मई 2024 को मैं एवरेस्ट फतह किया। एक अच्छी बात यह है कि मैं जिस उम्र में एवरेस्ट फतह की इससे पहल हिमाचल की किसी बेटी ने इस उम्र में यह कीर्तिमान हासिल नहीं किया है। मैं अब खुद एक ट्रेनर बन गई हूं और 18 साल से ये काम कर रही हूं। पहली बार में 2007 में 17353 फीट ऊंची फ्रेंडशिप पीक, 2011 में 22280 फीट ऊंची लियो पुर्ज्ञाल को चढ़ते हुए 19400 फीट की ऊंचाई तक पहुंची थी। 2019 में एक टीम लीडर के तौर पर मैं 20050 फीट ऊंची युनाम पीक, 2021 में 13780 फीट ऊंची चोटी खानपरी टिब्बा, 2022 में 19688 फीट ऊंची चोटी देऊ टिब्बा, और 2023 में 19341 फीट ऊंची किलिमंजारो पर फतह हासिल की हूं। मैं पिछले कुछ वर्षों से ये नोटिस की हूं कि ज्यादातर महिलाएं 30 की उम्र के बाद पर्वतारोहण छोड़ देती हैं। मेरा इस उम्र में एवरेस्ट फतह करने का मकसद ही यही था कि मैं महिलाओं को बता सकूं कि पर्वतारोहण इस उम्र में भी आसानी से किया जा सकता है। मेरा मकसद सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को जागरूक करना है।
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