रिम्स में होमगार्ड के जवान और डाक्टरों के बीच नोंक-झोंक, बंद रही ओपीडी सेवा

कभी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज और हास्पिटल में हुई घटना को लेकर तो कभी रिम्स परिसर में ही जूनियर डाक्टर और होमगार्ड जवानों के बीच हुई नोक-झोंक और झड़प होने के बाद एक बार फिर से जूनियर रेजिडेंट डाक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है।

ओपीडी सेवा बंद होने पर इमरजेंसी सेवा में इलाज के लिए कतार में लगे मरीज और उनके परिजन

आपातकालीन सेवा को छोड़कर बाकी सभी ओपीडी व अन्य सेवा ठप हो गई। अचानक से डाक्टर के हड़ताल पर चले जाने से कई मरीजों की रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची बनने के बाद भी इलाज के लिए यहां-वहां भटकना पड़ा, लेकिन इलाज नहीं हो सका। कई मरीज काफी देर तक बैठे रहने के बाद वापस लौट गए तो कई पैसे के अभाव में सदर अस्पताल और निजी अस्पताल की ओर चल पड़े। अन्य मरीजों ने बताया कि लैब में डाक्टर न होने के कारण दूसरी जांच भी नहीं हो पाई। जांच के लिए अगले दिन आने की बात कही गई है, लेकिन कोई तारीख नहीं दी गई।

मरीजों ने बयां किया दर्द:

भाभी को 1 महीने से पेट में गैस बनने की समस्या है। गैस की वजह से पूरा परेशान है। 250 रूपये खर्च करके रिम्स तक आयें लेकिन आज फिर से ओपीडी सेवा बन्द है।

ओपीडी के बाहर अपनी भाभी के साथ छोटी कुमारी, ओरमांझी

मेरी पत्नी के पैर में बहुत दर्द है, चल-फिर तक नहीं पा रही है। 1000 रूपये बस किराया खर्च करके यहां आया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अनिश्चितकालीन हड़ताल है तो अब किसी निजी अस्पताल में इलाज करायेंगे।

रंजीत साहू, बेंगाबाद

बेटा को कुछ दिन पहले सिर में चोट लग गया था। निजी अस्पताल में इलाज कराया लेकिन कुछ लाभ नहीं मिला, निजी अस्पताल के डाक्टर ने रिम्स रेफर कर दिया लेकिन यहां तो डाक्टर ही हड़ताल पर हैं, तो अब इमरजेंसी में इलाज कराना पड़ेगा।

मोहम्मद इसराइल, रातू

अनुराग को कल से खूब बुखार और उल्टी हो रही है। कल आटो नहीं चलने की वजह से नहीं आ पाई। लेकिन आज बेटे की बुखार को बढ़ते देखकर खुद को नहीं रोक पाई और पैदल ही आना पड़ा।

ओपीडी के बाहर अनुराग और उसकी मां (मोरहाबादी)

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Ajay Sah

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पैसे दोगे तो आपके पैसों का इस्तेमाल उन गरीब मजदूर, बेघर और असहाय बच्चों की मदद करने के लिए करूंगा। जो गरीबी की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो पाती और भूखे सो जाते हैं, ठंड में सड़कों के किनारे बिना कपड़ों के रात जागकर काट देते हैं। उन गरीब बच्चों के लिए कुछ करना चाहता हूं। करीब जाकर देखो तो उनकी आंखों में हजारों सपने हैं लेकिन… दो अक्षर का ज्ञान उन्हें देना चाहता हूं, उनके लिए कुछ करना चाहता हूं। आभार और धन्यवाद 🌻🌼🌹

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Ajay Sah

गांव-गांव और शहर-दर-शहर की गलियों में भटकता, जज़्बातों की कहानियाँ बुनता हूँ। हर मोड़ पर नया अनुभव, दिल के कोने में छुपी भावनाओं को जीता हूँ।