48 करोड़ के 8 मंजिला भवन में मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोग

जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना हो या जमा करना हो कोई टैक्स। हर छोटी-बड़ी समस्याओं को लेकर लोग नगर निगम आते हैं। जहां लोग खुद अपनी समस्या लेकर समाधान ढूंढ़ने के लिए आते हैं। उसी भवन में लोग मूलभूत सुविधाओं को लेकर परेशान रहते हैं। रांची नगर निगम का 8 मंजिला भव्य इमारत जिसे बनाने में 48 करोड़ से अधिक रूपए खर्च हुए। उस रांची नगर निगम की भी कहानी कुछ ऐसी ही है।

नगर निगम का टायलेट रूम

करोड़ों रूपए फूंक दिए गए निगम की नई बिल्डिंग बनाने में, लेकिन निगम के ग्राउंड फ्लोर स्थित टायलेट की स्थिति अत्यंत दयनीय है। टायलेट के अंदर प्रवेश करने में ही भय लगता है, यहां लाईट की व्यवस्था तो है परन्तु लाईट जलती नहीं है। समस्या सिर्फ लाईट की ही नहीं है, यूरिनल में पानी आने की बात तो दूर की है। यूरिनल में सेंशर तक नहीं लगा हुआ है, जिससे भी लोगों को यह पता चल सके कि सेंशर क्या निर्देश दे रहा है। वहीं, यूरिनल के बगल में टायलेट तो है परन्तु तीनों टायलेट के दरवाजे की कुंडी में मोटी तार लपेट कर बंद कर दिया है।

टायलेट के दरवाजे की कुंडी में लपेटी हुई मोटी तार

टायलेट में पानी नहीं आने से उसके अंदर प्रवेश करते ही बहुत तेज की दुर्गंध आती है, दुर्गंध की वजह से ग्राउंड फ्लोर में बैठे लोग भी परेशान रहते हैं। उस टायलेट का इस्तेमाल सिर्फ वैसे ही लोग करते हैं, जिन्हें उसकी जरूरत होती है, लोग अंदर प्रवेश करते ही फौरन बाहर निकलते हैं। उन्हें इस बात का डर भी रहता है कि ऐसे यूरिनल का इस्तेमाल करने से इन्फेक्शन भी हो सकता है लेकिन मजबूरी में उसका प्रयोग करना पड़ता है।

टायलेट के प्रवेश द्वार के सामने बेसिन की स्थिति

यूरिनल के बगल में ही बेसिन की व्यवस्था है, जिससे पानी की एक बूंद तक नहीं आता है। वहीं, टायलेट के अंदर प्रवेश द्वार पर एक और बेसिन लगी है, जिससे पानी नहीं आने की वजह से गुटखा चबाने वाले थूक- थूक कर पूरे टाइल्स और दीवार को गंदा कर दिया है।

मजबूरी में करते हैं टायलेट का इस्तेमाल:

नगर निगम की इतनी बड़ी बिल्डिंग में शौचालय की यह स्थिति चिंताजनक है। वाशरूम में न ही लाईट की व्यवस्था है और न ही पानी की। साफ-सफाई न होने से निगम का यह टायलेट बीमारी का घर है। इसके इस्तेमाल से इन्फेक्शन फैलने का डर रहता है।

हरबीर सिंह, हटिया

नगर निगम प्रशासन को सबसे पहले स्वच्छता को लेकर ध्यान देना चाहिए कि टायलेट की क्या स्थिति है, पानी आ रहा है या नहीं। अमूमन सभी आवेदक ग्राउंड फ्लोर पर ही किसी काम से आते हैं और इसी टायलेट का ज्यादातर लोग इस्तेमाल भी करते हैं। एक और बात यहां पर दिव्यांग के लिए टायलेट की व्यवस्था नहीं है।

प्रकाश बड़ाईक, रांची

शहर को साफ-सुथरा बनाने वाली निगम में ही जब स्वच्छता को लेकर इतनी लापरवाही है। तो आम लोग को यहां से क्या संदेश जाएगा। टायलेट की यह स्थिति पिछले 10 महीने से बनी हुई है। यहां से इंफेक्शन फैलने का खतरा मंडरा रहा है।

दीपक बड़ाईक, रातू


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Ajay Sah

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Ajay Sah

गांव-गांव और शहर-दर-शहर की गलियों में भटकता, जज़्बातों की कहानियाँ बुनता हूँ। हर मोड़ पर नया अनुभव, दिल के कोने में छुपी भावनाओं को जीता हूँ।